किरचॉफ का नियम, विद्युत् अभियांत्रिकी का बहुत की महत्वपूर्ण नियम है | विद्युत् अभियांत्रिकी में इसका अपना लगा ही महत्व है। इस नियम का प्रयोग उन जटिल विद्युत् परिपथों को हल करने में किया जाता है जहाँ ओम के नियमो से परिपथों को हल करना कठिन हो जाता है।
किरचॉफ के नियम दो प्रकार के होते है।
१- किरचॉफ धारा नियम (KCL)
2- किरचॉफ वोल्टेज नियम (KVL)
१- किरचॉफ धारा नियम (KCL) - इस नियम के अनुसार किसी विद्युत् परिपथ में किसी संधि बिंदु पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणतीय योग शून्य होता है।
या
एक संधि बिंदु की ओर प्रवाह का योग , बिंदु से दूर जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है।
चित्रानुसार , कुछ चालक एक बिंदु पर मिलते है यहाँ कुछ चालकों में प्रवाहित होने वाली धारा की दिशा संधि बिंदु की ओर है तथा कुछ चालकों में प्रवाहित होने वाली धारा संधि बिंदु से दूर जा रही है यह मान लेते है की संधि बिंदु पर आने वाली धारा धनात्मक है और संन्धि बिंदु से दूर जाने वाली धारा नेगेटिव है।
I1 + I2 + (-I3) + (-I4) = 0
I1 + I2 - I3 - I4 = 0
I1 + I2 = I3 + I4
संधि बिन्दु की ओर प्रवेश करने वाली धाराओं का योग = संधि बिंदु से दूर जाने वाली धाराओं का योग
२ - किरचॉफ वोल्टेज नियम (KVL) - इस नियम के अनुसार किसी बंद परिपथ के प्रत्येक चालक में धारा और प्रतिरोध का गुडनफल, एवं उसी परिपथ पर विभव का बिजगणतीय योग परस्पर जोड़े जाने पर शून्य होता है।